किसी के काम जो आये, उसे इंसान कहते हैं। पराया दर्द अपनाए, उसे इंसान कहते हैं।। कभी धनवान है कितना, कभी इन्सान निर्धन है। कभी सुख है कभी दुःख है, इसी का नाम जीवन है
भूलो सभी को तुम, मगर माँ-बाप को भूलो नहीं, उपकार अगणित हंै, कभी इस बात को भूलो नहीं। पत्थर कई पूजे, तुम्हारे जन्म की खातिर, पत्थर बन माँ-बाप की छाती कभी कुचलो नहीं। सुख का निवाला दे अरे, जिन्होने तुम्हें बड़ा किया, अमृत दिया तुमको, जहर उनके लिए उगलो नहीं।
मानव ने हर मानव के हित, अपने मन अपनत्व जगाया। नहीं पराया कोई जग में, और अपना विश्वास जगाया।। श्री गणेश सेवा का करने, बड़े चिकित्सालय नित जाना। घर से बना रोटियाँ, सब्जी, बडे प्यार से उन्हें खिलाना।। कभी आम, नारंगी देना, कदली फल का भाग लगाना। नर रूपी रोगी नारायण,
बच्चे काम पर जा रहे हैंकोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं सुबह सुबह बच्चे काम पर जा रहे हैं हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चें? क्